लस्सी का ऑर्डर देकर हम सब आराम से बैठकर एक दूसरे की खिंचाई मे लगे ही थे कि एक लगभग 70-75 साल की माताजी कुछ पैसे मांगते हुए मेरे सामने हाथ फैलाकर खड़ी हो गईं उनकी कमर झुकी हुई थी चेहरे की झुर्रियों मे भूख तैर रही थी आंखें भीतर को धंसी हुई किन्तु सजल थीं उनको देखकर मन मे …
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शेर और सियार
बहुत समय पहले की बात है हिमालय के जंगलों में एक बहुत ताकतवर शेर रहता था . एक दिन उसने बारासिंघे का शिकार किया और खाने के बाद अपनी गुफा को लौटने लगा. अभी उसने चलना शुरू ही किया था कि एक सियार उसके सामने दंडवत करता हुआ उसके गुणगान करने लगा . उसे देख शेर ने पूछा , ” अरे …
Read More »धूर नागरी बड़ी धूर नागरी
कैसी अओ मई कनाई तेरी गोकुल नागरी बड़ी धूर नागरी रात को अओ कहना दार मोहे लागे दिन मई अओ तो देखे सारी नागरी धूर नागरी बड़ी धूर नागरी सखी सांग अओ कना सारम मोहे लागे अलेलेई अओ तो भूल जौ डगारी धूर नागरी बड़ी धूर नागरी धीरे धीरे चालू तो कमर मोहरी लचके जाटपट चालू तो जलकाए गागरी धूर …
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