कृष्ण तुम्हारे ध्यान में आठो पेहर रहा करूहर दम तुम्हारे ज्ञान के सागर में ही बहा करू वाणी तुम्हारी हो मधुर मुरली के मीठे मीठे स्वर,जादू का जिस में हो असर बंसी वही सूना करूकृष्ण तुम्हारे ध्यान में आठो पेहर रहा करू मोर मुकट हो पीत पथ कुंडल हो कानो में पड़े,दर्शन मुझे दिया करो विनती जब मैं किया करूकृष्ण …
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