मेरी बेहना केसों पे कलमलहारी,मस्तक पे मदन मुरारी,लिख दे लिखाऊँ जो बात मेंतन पे नाम लिखो चित लाके, अपने तू अति हर्षाके,लिखदे लिखाऊं जो जो बात में भृकटी पे भयनासक लिखदे भक्तन के रखवारे ,पलकों पे पीताम्बरधारी जग के पालनहारे,नैनों पे लिख्न नटवर नंदन है नैनों के तारे,बहना कोरन पे कृष्ण मुरारी गलों पे गिरवरधारी, निर्विकार नासिका पे लिखदे नटवर …
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आजा हारे के सहारे
गहरी नदी है, तेज़ है धारा l रात अँधेरी, दूर किनारा ll माँझी बनकर, करके तूँ ही तो, सबको पार उतारे,,, आजा हारे के सहारे
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