शीर्षक : आस्तीनयहां कुछ भूरे हैं कुछ काले हैंसब हमने आस्तीन में पाले है।दूसरों में तब्दीली चाहते थे हमअब खुद हम बदलने वाले है। नजरें नीची कर चलते थे वोसमझा हमने वो भोले-भाले हैं।ये आज तक जान नहीं पाते हमवो हमारा ही शिकार करने वाले है। उसने तो दिखा दी थी कई बार औकातजीवन तू ही समझता रहा इसे सौगातआप …
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