वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनमदेवकी परमानन्दम कृष्ण वन्दे जगतगुरु छैल जो छबीला , सब रंग में रंगीलाबड़ा चित का अडिला , सब देव तोसे न्यारा है माला गल सोहे , नाक मोती से तू जोहेकान कुंडल मन मोहे , लाल मुकुट सिर धारा है दुष्ट जन मारे , सब संतजन तारेताज चित में हमारे , सुख प्रीति करने वारा …
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