वर दे, वीणावादिनि वर दे।प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नवभारत में भर दे।वीणावादिनि वर दे। काट अंध उर के बंधन स्तरबहा जननि ज्योतिर्मय निर्झरकलुष भेद तम हर प्रकाश भरजगमग जग कर दे।वर दे , वीणावादिनि वर दे। नव गति, नव लय, ताल छंद नवनवल कंठ, नव जलद मन्द्र रवनव नभ के नव विहग वृंद को,नव पर नव स्वर दे।वर दे, …
Read More »Tag Archives: माँ सरवरवती शारदे
हे शारदे माँ…
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ,हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ॥अज्ञानता से हमें तारदे माँ , हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ॥हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ,अज्ञानता से हमें तारदे माँ ॥ हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ,हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ॥अज्ञानता से हमें तारदे माँ ,हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ॥ …
Read More »