मेरे बचपन के वक़्त तो मुर्गों की बांग नींद से जगाती थी, कभी बाबा के तानें , तो कभी मम्मी का प्यार , बिस्तर छुड़वाती थी।सूरज के जगने से पहले ही , दिन शुरू हो जाता था । हर कोई अपने काम को लेकर , काम में लग जाता था ।नहा धोकर स्कूल जाने को सब तैयार होते थे, जिनको …
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