सुना है तारे है तुमने लाखों, हमें जो तारो तो हम भी जाने, नेशाचरों को संहारा तुमने, उतारा पृथ्वी का भार तुमने,हमारे सिर भी है पाप भारी, उन्हें उतारो तो हम भी जानें , हरा अहिल्या का शाम तुमने, मिटाया शबरी का ताप तुमने,हमारे भी पाप-ताप भगवन, अगर निवारो तो हम भी जानें, फंसी भँवर में हमारी नैया, उतारो सागर …
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