तेरे दर्श की मैं हु प्यासी चरणों की हु दासी सुन ले फरयाद संवारे अधरों से तेरे कान्हा सुन ली है बांसुरी की तान रेमत वाली धुन तेरी लील ले मन में बिठा रेमेरी सुध कैसे बुला तू घट घट का वासीसुन ले फरयाद संवारे साँसों की धुरी कान्हा देदी है मैंने तेरी बाट मेंअब जीना मरना मेरा हुआ है …
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