आज मोहे राधा छल गई रेआज मोहे श्यामा छल गई रेऐ री मैया मैं कहा करू मोहे श्यामा छल गई रेआज मोहे राधा छल गई रे मै थारो इक कदम की छैयाँपास में चर रही मोरी गईयाँ,नैनं के वो तीर चलाई के घ्याल कर गई रेआज मोहे राधा छल गई रे इन ग्वालन को मन है कारो मैं तेरो बालक …
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