तुम्हे कुछ दिन से देख रहा हूं, यहां रोज गोलगप्पे की रेहड़ी लगाते हो, स्कूल क्यों नहीं जाते. शर्मा जी ने सड़क किनारे रेहड़ी लगाए 14-15 साल के लड़के से कहा
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पूर्ण विराम
इतने सालों के बाद मेरे जीवन की मेहनत रंग लायी । आज एवार्ड लेते समय मेरी आँखों से निरन्तर खुशी के आँसू छलक रहे थे । मै कितना भी कोशिश कर रही थी परन्तु रूकने का नाम नही ले रहे थे ।
Read More »स्त्रियों को समर्पित
मुझे याद नहीं कि बचपन में कभी सिर्फ इस वजह से स्कूल में देर तक रुकी रही होऊं कि बाहर बारिश हो रही है ना। भीगते हुए ही घर पहुंच जाती थी
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