करुणामयी स्वामिनी श्री राधे इक कोर किरपा की कर देनाचोकठ पे तुम्हारी दम निकले मुझको इतना ही भर देनाकरुणामयी स्वामिनी श्री राधे इक कोर किरपा की कर देना जब याद तुम्हारी आती है बह जाता हु मैं भावो मेंमेरा जी करता है रो लू तेरे आँचल की छावो मेंमैं दीं हीन व्रत शीन प्रिया मुझे अपनी शरण में रख लेनाकरुणामयी …
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