हार गयी सब ब्रिज की बालां,तेरी डगर निहार के।तू तो भुला ओ निर्मोही,कसमे वादे वो प्यार के। छोड़ कर तुम हमे गए श्याम रे,फिर न आने का तूने लिया नाम रे,तेरी याद में रोये है ब्रिजबाला ये,सूना तुझ बिन पड़ा है ये ब्रिजधाम रे।छोड़ कर तुम हमे गए श्याम रे…… खाली खाली है कुंजन की गालियां भी वो,जहां तुमने रचाई …
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