चला है जिक्र ,जीवन की घट रही है लंबाई|सो जी में आया ,मैं भी देखूँ क्या है सच्चाई|ना पढूं ,ना सुनूं , ना सफ़र करूं तो मरता हूँ |किसी की परवाह नहीं करता कोई यहाँ पर,काँटों से गुजरता हूँ ,मैं धोखों से उभरता हूँ |आत्मविश्वास खोकर ,उम्मीद सारी खोकर,मैं पल -पल यहाँ पर यूहीं मरता हूँ |जीवन तेरी सच्चाई ,देख …
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