तप के मार्ग का अनुसरण करने वाले हठ मनोबली शूरवीर होते है । तप से मन का कायाकल्प होता है । तपस्या की महिमा अपरंपार है, जो हमें मुक्ति के द्वार लेकर जाती है
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ज्ञान वहीं जो व्यवहार में काम आए
ज्ञान ही एक ऐसा तत्त्व है जो कहीं भी , किसी अवस्था और किसी काल में भी मनुष्य का साथ नहीं छोड़ता। मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति ज्ञान है। बिना ज्ञान के व्यक्ति अपने जीवन में सफलता नहीं पा सकता। इसलिए हर व्यक्ति के पास ज्ञान होना ज़रूरी है। बिना ज्ञान के व्यक्ति का जीवन निरर्थक है। दुनिया में कुछ …
Read More »Itani Shakti Hme
इतनी शक्ति हमें दे न दाता मन का विशवास कमज़ोर हो ना हम चलें नेक रस्ते पे हमेशा भूलकर भी कोई भूल हो ना हर तरफ ज़ुल्म है बेबसी है सहमा सहमा सा हर आदमी है पाप का बोझ बढ़ता ही जाए जाने कैसे ये धरती थमी है बोझ ममता का तू ये उठा ले तेरी रचना का ये अंत …
Read More »ॐ जय महावीर प्रभु
ॐ जय महावीर प्रभु, स्वामी जय महावीर प्रभु । कुण्डलपुर अवतारी, चांदनपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभु ॥ सिध्धारथ घर जन्मे, वैभव था भारी । बाल ब्रह्मचारी व्रत, पाल्यो तप धारी ॥ आतम ज्ञान विरागी, सम दृष्टि धारी । माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्योति जारी ॥ जग में पाठ अहिंसा आप ही विस्तारयो । हिंसा पाप मिटा कर, सुधर्म परिचारियो ॥ …
Read More »आखिरी सन्देश
ऋषिकेश के एक प्रसिद्द महात्मा बहुत वृद्ध हो चले थे और उनका अंत निकट था . एक दिन उन्होंने सभी शिष्यों को बुलाया और कहा , ” प्रिय शिष्यों मेरा शरीर जीर्ण हो चुका है और अब मेरी आत्मा बार -बार मुझे इसे त्यागने को कह रही है , और मैंने निश्चय किया है कि आज के दिन जब सूर्य …
Read More »हनुमान चालीसा
दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार । बल बुधि बिद्या देहु मोहि, हरहु कलेस विकार ।। चौपाई जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ।। राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ।। महाबीर बिक्रम बजरंगी …
Read More »जानिए क्यों की जाती है मंदिर की परिक्रमा तथा क्या है इसका महत्त्व ?
ईश्वर की आराधना करने के तरीके अनेक हैं, इसमें पूरे विधि-विधान से पूजा करने से लेकर उपवास रख कर भी ईश्वर को प्रसन्न करने जैसी रीति है। लेकिन इसके अलावा भी एक और अंदाज है भगवान को याद करने तथा उनसे सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का। यह तरीका है परिक्रमा का, जो किसी धार्मिक स्थल के ईर्द-गिर्द की जाती है। …
Read More »साखियाँ
जाति न पूछो साध की, पूछ लीजिए ज्ञान। मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान ।।1।। आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक। कह कबीर नहिं उलटिए, वही एक की एक ।।2।। माला तो कर में फिरै, जीभि फिरै मुख माँहि। मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यह तौ सुमिरन नाहिं ।।3।। कबीर घास न नींदिए, जो पाऊँ तलि होइ। …
Read More »एक रोटी
तीन व्यक्ति एक सिद्ध गुरु से दीक्षा प्राप्त कर वापस लौट रहे थे . गुरु जी ने उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान के साथ – साथ व्यवहारिक होने की भी सीख दी थी . तीनो तमाम ग्रंथो , पुराणों पर चर्चा करते आगे बढ़ते जा रहे थे . बहुत समय चलने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि अब उन्हें कहीं विश्राम करना चाहिए …
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