इतना तो दो कन्हईया, हक़ कम से कम llकह सके ज़माने को ll, तुम्हारे हैं हम,,,इतना तो दो कन्हईया, हक़ कम से कम ll यह माना कि मीरा सा, न प्रेम अटल है llन अर्जुन विदुर सा, भरोसा प्रबल है lन मित्र सुदामा के ll, जैसे हैं कर्म,,,इतना तो दो कन्हईया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, प्रह्लाद ध्रू जैसी, न मासूम भक्ति llनरसी न सूर …
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