सितारे मंद पड़जाये तो चमकाएं कहा उसको,अगर सूरज हुआ ठंढा तो गरमाये कहाँ उसको, जमी को मौत आजाये तो दफनाए कहाँ उसको,समुंदर होजाये नापाक नहलायें कहाँ उसको, आग हवा पानी मिट्टी से मिलकर बना सरीर,ये जीवन एक धुंधली काया केहगये दास कवीर, धन गिनने से बढ़ जाती है और भी मनकी प्यास,मूरख मनवा धन क्या गिनना कहगये तुलशी दास, ताना …
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