नन्द लाला ने बरसाने में खेली ऐसी होली रेमैं तो सांवरिया की हो ली रे…… तन मन चोला साडी चुनर भीग गई मेरी झोली रेमैं तो सांवरिया की हो ली रे….. गालन पे मेरे रंग लगाये के तिर्शे तिर्शे नैन चलाए केकेह गयो मीठी बोली रेमैं तो सांवरिया की हो ली रे….. जीवन के सब राज बदल गए सोते सोते …
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