जब से चाहा तुझको मोहन रही न मन में कोई कमानाक्या करती मैं जग के साधन मन में जब बस गई साधनानषर है जब सारी दुनिया तो दुनिया किस काम कीमैं मीरा दीवानी हु दीवानी मैं श्याम की……….. आखर आखर जोड़ जोड़ कर गीत गीत में श्याम लिखाभक्ति भाव में मन यु डूबा तन को अक्षर धाम लिखाराज मेहल में …
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