रल मिल सखियाँ कहने आई,सुनों यशोदा माई,अपने कान्हा को समझाओ,करता है चतुराई,यशोदा तेरा लल्ला,तुफानी हो गया,मन की करने वाला,मनमानी हो गया,यशोदा तेरा लल्ला,तूफानी हो गया। रोज वो संग लेकर ग्वालों को,ऐसे खेल खिलाये,गोकुल के घर घर में घुसकर,माखन चुरा के खाए,नंदलाल का छोरा,परेशानी हो गया,यशोदा तेरा लल्ला,तूफानी हो गया…… हम सब सखियाँ जब यमुना से,पानी भर कर लाएं,कान्हां तेरा रोज …
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