वर दे, वीणावादिनि वर दे।प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नवभारत में भर दे।वीणावादिनि वर दे। काट अंध उर के बंधन स्तरबहा जननि ज्योतिर्मय निर्झरकलुष भेद तम हर प्रकाश भरजगमग जग कर दे।वर दे , वीणावादिनि वर दे। नव गति, नव लय, ताल छंद नवनवल कंठ, नव जलद मन्द्र रवनव नभ के नव विहग वृंद को,नव पर नव स्वर दे।वर दे, …
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वीणा वादिनि विमल वाणी दे…
वीणा वादिनि विमल वाणी दे ,वीणा वादिनि विमल वाणीदे, विद्या दायिनि वन्दन ॥जय विद्या दायिनि वन्दन , अरुण लोक से वरुण लहर तक गुंजारित तव वाणी ॥ब्रह्मा विेष्णु रूद्र इन्द्रदिक, करते सब अभिनन्दन ,जय विद्या दायिनि वन्दन ॥ तेरा भव्य भण्डार भारती, है अद्भुत गतिवारा ,ज्यों खर्चे त्यों बढे निरन्तर, है सबका अवलम्बन ॥जय विद्या दायिनि वन्दन , नत मस्तक …
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