हे मुरली धर छलिया मोहन हम भी तुम को दिल दे बैठे,गम पेहले से ही कम तो न थे इक और मुसीबत ले बैठे,हे मुरली धर छलिया मोहन हम भी तुम को दिल दे बैठे, दिल केहता है तुम सुंदर होआँखे केहती है दिखलाओतुम मिलते नही हो आकार के हम कैसे कहे देखो ये बैठे हैहे मुरली धर छलिया मोहन …
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