कितनो की बिगड़ी है बनती आ के देखो इक बार,सूखे में नाव कैसे चलती आ के देखो इक बार, हारो को मिलता सहारा आ के देखो इक बार,कितनो को इस ने उभारा आ के देखो इक बार, उजले जो धागे सुल्ज ते आके देखो इक बार,बिगड़े रिश्ते जो सवर ते आ के देखो इक बार,कितनो की बिगड़ी है बनती …….. …
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