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Tag Archives: adhik maas kab se shuru hai

पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 15

पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 15

श्रीनारायण बोले :- सुदेवशर्म्मा ब्राह्मण हाथ जोड़कर गद्‌गद स्वर से भक्तवत्सल श्रीकृष्णदेव की स्तुति करता हुआ ॥ हे देव! हे देवेश! हे त्रैलोक्य को अभय देनेवाले! हे प्रभो! आपको नमस्कार है। हे सर्वेश्वर! आपको नमस्कार है, मैं आपकी शरण आया हूँ ॥ २ ॥ हे परमेशान! हे शरणागतवत्सल! मेरी रक्षा करो। हे जगत्‌ के समस्त प्राणियों से नमस्कार किये जाने वाले! हे …

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पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 14

पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 14

श्रीनारायणजी बोले :- इसके बाद चिन्ता से आतुर राजा दृढ़धन्वा के घर बाल्मीकि मुनि आये जिन्होंने परम अद्भुत तथा सुन्दर रामचन्द्रजी का चरित्र वर्णन किया है ॥ राजा दृढ़धन्वा ने दूर से ही बाल्मीकि मुनि को आते हुए देखकर घबड़ाहट के साथ जल्दी से उठकर भक्तियुक्त हो उनके चरणों में दण्डवत्‌ प्रणाम किया ॥ २ ॥ भलीभाँति पूजा कर उत्तम आसन …

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पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 13

पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 13

ऋषि लोग बोले:- हे सूत! हे महाभाग! हे सूत! हे बोलने वालों में श्रेष्ठ! पुरुषोत्तम के सेवन से राजा दृढ़धन्वा शोभन राज्य, पुत्र आदि तथा पतिव्रता स्त्री को किस तरह प्राप्त किया और योगियों को भी दुर्लभ भगवान्‌ के लोक को किस तरह प्राप्त हुआ? ॥ हे तात! आपके मुखकमल से बार-बार कथासार सुनने वाले हम लोगों को अमृत-पान करने …

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पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 12

पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 12

नारदजी बोले:- जब भगवान् शंकर चले गये तब हे प्रभो! उस बाला ने शोककर क्या किया! सो मुझ विनीत को धर्मसिद्धि के लिए कहिये ॥  इसी प्रकार राजा युधिष्ठिर ने भगवान् कृष्ण से पूछा था सो भगवान् ने राजा के प्रति जो कहा सो हम तुमसे कहते हैं सुनो ॥ २ ॥ श्रीकृष्ण बोले:- हे राजन! इस प्रकार जब शिवजी …

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पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय – 8

पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 8

सूतजी बोले  हे तपोधन! विष्णु और श्रीकृष्ण के संवाद को सुन सन्तुष्टमन नारद, नारायण से पुनः प्रश्न करने लगे ॥ १ ॥ adhik mas नारदजी बोले:- हे प्रभो! जब विष्णु बैकुण्ठ चले गये तब फिर क्या हुआ? कहिये। आदिपुरुष कृष्ण और हरिसुत का जो संवाद है वह सब प्राणियों को कल्याणकर है ॥ २ ॥ इस प्रकार प्रश्न को सुन …

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पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय – 3

पुरुषोतम मास/अधिक मास माहात्म्य अध्याय – 3

अधिक मास माहात्म्य, तृतीय अध्याय, मल मास का बैकुठ में जाना सूतजी के श्री मुख से पवन कथा सुनते हुए ऋषि बोले:- हे महाभाग! नर के मित्र नारायण नारद के प्रति जो शुभ वचन बोले, वह आप विस्तार पूर्वक हमसे कहें । हे नारद! पहले महात्मा श्रीकृष्णचन्द्र ने राजा युधिष्ठिर से जो कहा था वह मैं कहता हूँ सुनो । …

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पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय – 2

पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय – 2

सूतजी बोले– राजा परीक्षित के पहुंचने पर भगवान शुकदेवजी द्वारा कथित पुण्यप्रद श्रीमद् भागवत कथा, श्री शुकदेवजी जी के द्वारा सुनकर, तथा राजा का मोक्ष देखकर, अब मै यहां यज्ञ करने के लिए उद्यत ब्राह्मणों को देखने के लिए आया हूँ… अब यहां यज्ञ में दीक्षा लिए हुए ब्राह्मणों का दर्शन कर मैं कृतार्थ हुआ। ऋषि बोले:- हे साधो! अन्य …

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पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 1

पुरुषोतम मास / अधिक मास माहात्म्य अध्याय – 1

कल्प वृक्ष के समान भक्तजनों के सभी मनोरथ पूर्ण करने वाले, वृंदावन की शोभा के अधिपति, आलोकिक कार्यो द्वारा, समस्त लोको को चकित करने वाले, वृंदावन बिहारी पुरुषोत्तम भगवान को नमस्कार करते है। नारायण, नर, नरोत्तम तथा देवी सरस्वती और श्रीव्यासजी को प्रणाम करती हूँ। एक समय बहुत बड़ा यज्ञ करने की इच्छा से परम पवित्र नैमिषारण्य तीर्थ में बहुत …

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