अधिक मास माहात्म्य, तृतीय अध्याय, मल मास का बैकुठ में जाना सूतजी के श्री मुख से पवन कथा सुनते हुए ऋषि बोले:- हे महाभाग! नर के मित्र नारायण नारद के प्रति जो शुभ वचन बोले, वह आप विस्तार पूर्वक हमसे कहें । हे नारद! पहले महात्मा श्रीकृष्णचन्द्र ने राजा युधिष्ठिर से जो कहा था वह मैं कहता हूँ सुनो । …
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पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय – 2
सूतजी बोले– राजा परीक्षित के पहुंचने पर भगवान शुकदेवजी द्वारा कथित पुण्यप्रद श्रीमद् भागवत कथा, श्री शुकदेवजी जी के द्वारा सुनकर, तथा राजा का मोक्ष देखकर, अब मै यहां यज्ञ करने के लिए उद्यत ब्राह्मणों को देखने के लिए आया हूँ… अब यहां यज्ञ में दीक्षा लिए हुए ब्राह्मणों का दर्शन कर मैं कृतार्थ हुआ। ऋषि बोले:- हे साधो! अन्य …
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 1
कल्प वृक्ष के समान भक्तजनों के सभी मनोरथ पूर्ण करने वाले, वृंदावन की शोभा के अधिपति, आलोकिक कार्यो द्वारा, समस्त लोको को चकित करने वाले, वृंदावन बिहारी पुरुषोत्तम भगवान को नमस्कार करते है। नारायण, नर, नरोत्तम तथा देवी सरस्वती और श्रीव्यासजी को प्रणाम करती हूँ। एक समय बहुत बड़ा यज्ञ करने की इच्छा से परम पवित्र नैमिषारण्य तीर्थ में बहुत …
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