आरती कीजे हनुमान लला की | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की || जाके बल से गिरिवर कांपे | रोग दोष जाके निकट ना जांके || अनजनी पुत्र महा बलदाई | संतन के प्रभु सदा सही || दे बीरा रघुनाथ पठाए | लंका जारि सिया सुधि काये || लंका सो कोटि समुद्र की खायी | जात पवन सुत बार ना लायी …
Read More »