कब आएगा तू गिरिधारी डेरे हुई घनश्याम सागर तट पर बैट अकेला रे… ||1|| करता पल पल तेरा वंदन युग युग का प्यासा मेरा मान करले अब स्वीकार मुरारी तू ये मेरा प्रणाम ||2|| कब आएगा तू गिरिधारी डेरे हुई घनश्याम सागर तट पर बैट अकेला रे… चारो ओर गिरे अंधियारा नाथ ना अपना एक सहारा सुधि पतवर पकड़ के …
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