अनुपम रूप, नीलमणि को री उर धरि कर करि हाय! गिरत सोई, लखत बार इक भूलेहुँ जो री प्रति अंगनी छवि कोटि अनंगनी, सुषमा सुधा सार रस बोरी जिन हीन अंगनी नैनन निरखत, तिनहिन कहाँ कहा सरस बड़ो री नख-सिख लखि सखी! अंखियन हूँ ते, पल पल तलफति देखन को री कहा ‘कृपालु गागर मह सागर, आव न यतन करोड़ …
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ऐसी ताना सुन सावरिया
मे नचू तू नाचा..सवारिया रास की शार भरे तां मानणमे अनुपम प्रेम झारे जीवन मे ||रास|| तेरी याद ना बिसरे एक पल..2 ऐसा मस्त भाना..सवारिया प्रेम मगन झूमू कुंजन मे भाजकी लता पता निधि वाँ मे ||प्रेम|| ब्रज की रानी..राधा रानी..2 उनसे हमे मिला..सवारिया हरफल तेरा रूप निहारू सोवत जगत तुजे पुकारू ||हरफल|| हरी हर के मंकी कुटीलाई प्रेमा की …
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