एक सम्राट का बेटा बिगड़ गया। गलत संग-साथ में पड़ गया। बाप नाराज हो गया। बाप ने सिर्फ धमकी के लिए कहा कि तुझे निकाल बाहर कर दूंगा; या तो अपने को ठीक कर ले या मेरा महल छोड़ दे। सोचा नहीं था बाप ने कि लड़का महल छोड़ देगा। छोटा ही लड़का था। लेकिन लड़के ने महल छोड़ दिया। …
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मन में यदि सुराख है तो उसमें प्रेम कैसे भरेगा
गौतम बुद्ध यात्रा पर थे। रास्ते में उनसे लोग मिलते। कुछ उनके दर्शन करके संतुष्ट हो जाते तो कुछ अपनी समस्याएं रखते थे। बुद्ध सबकी परेशानियों का समाधान करते थे। एक दिन एक व्यक्ति ने बुद्ध से कहा- मैं एक विचित्र तरह के द्वंद्व से गुजर रहा हूं। मैं लोगों को प्यार तो करता हूं पर मुझे बदले में …
Read More »ध्यान रखिए ताकि छलके नहीं दूध का मर्तबान
शुकदेव को उनके पिता ने परामर्श दिया कि वे महराज जनक की शरण में जाकर दीक्षा ग्रहण करें। पिता के परामर्श से शुकदेव महराज जनक के दरबार जा पहुंचे और राजा जनक से दीक्षा देने का अनुरोध किया। जनक ने शुकदेव की परीक्षा लेने से पहले उनकी परीक्षा लेने के उद्देश्य से उनके हाथ में दूध का कटोरा दिया और …
Read More »ओह! तो ये बात है, जिसे तुम अब तक ढो रहे हो
दो बौद्ध भिक्षु पहाड़ी पर स्थित अपने मठ की ओर जा रहे थे। रास्ते में एक गहरा नाला पड़ता था। वहां नाले के किनारे एक युवती बैठी थी, जिसे नाला पार करके मठ के दूसरी ओर स्थित अपने गांव पहुंचना था, लेकिन बारिश के कारण नाले में पानी अधिक होने से युवती नाले को पार करने का साहस नहीं कर …
Read More »दिल को दुनिया से न लगाएं
जैसे जैसे मेरी उम्र में वृद्धि होती गई, मुझे समझ आती गई कि अगर मैं Rs.300 की घड़ी पहनू या Rs.30000 की दोनों समय एक जैसा ही बताएंगी.. मेरे पास Rs.300 का बैग हो या Rs.3000 का इसके अंदर के सामान मे कोई परिवर्तन नहीं होंगा। मैं 100 गज के मकान में रहूं या 3000 गज के मकान में तन्हाई का …
Read More »चाहे दुःख हो या सुख हिसाब तो सबको देने ही होते हैं
एक सेठ जी बहुत ही दयालु थे । धर्म-कर्म में यकीन करते थे । उनके पास जो भी व्यक्ति उधार मांगने आता, वे उसे मना नहीं करते थे । सेठ जी मुनीम को बुलाते और जो उधार मांगने वाला व्यक्ति होता उससे पूछते कि भाई ! तुम उधार कब लौटाओगे ? इस जन्म में या फिर अगले जन्म में जो …
Read More »सुख की तलाश में सुखी की खोज
राजा कुंवरसिंह जी बड़े अमीर थे। उन्हें किसी चीज की कमी नहीं थी। उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं था। बीमारी के मारे वे सदा परेशान रहते थे। कई वैद्यों ने उनका इलाज किया, लेकिन उनको कुछ फायदा नहीं हुआ। राजा की बीमारी बढ़ती गई। सारे नगर में यह बात फैल गई। तब एक बूढ़े ने राजा के पास आकर कहा, ‘महाराज, …
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