गजब की बांसुरी बजती है वृन्दावन बसैया की, करूँ तारीफ़ मुरली की या मुरली धर कन्हैया की । जहां न काम चलता तीर और कमानो से, विजय नटवर की होती है वहां मुरली की तानो से ॥ श्याम बांसुरी बजाये री अधर धर के, रूप माधुरी पिलाए यह तो भर भर के । बांसुरी बज के छीने मन का आराम …
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सुनि कान्हा तेरी बांसुरी
सुनि कान्हा तेरी बांसुरी बांसुरी तेरी जादू भरी सारा गोकुल लगा झूमने क्या अजब मोहिनी छा गयी मुग्ध यमुना थिरकने लगी तान बंसी की तड़पा गयी मैं तो जैसे हुई बावरी सुनि कान्हा तेरी बांसुरी बांसुरी तेरी जादू भरी हौले से कोई धुन छेड के तेरी बंसी तो चुप हो गयी सात स्वर के भंवर में कहीं मेरे मन की …
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