बनू दास जनम जनम तक यो ही आयो मांग नेमैया थारे आगने, मंगल गाऊ घर घर जा कर था सु मिलयो उपकारदे के सेवा ही जन्म में बहुत कियो उपकारमौज उडावा मैं तो दादी थारे कारनेमैया थारे आगने, मानव तन जो पाऊ फिर से मंगल मैं गाऊपंशी जीवन म्हाने देयो यो जो ही मैं चाहूबन के मोरी यो मैं नाचू …
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