हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन, सुन लो मेरी पुकार | पवनसुत विनती बारम्बार || अष्ट सिद्धि नव निद्दी के दाता, दुखिओं के तुम भाग्यविदाता | सियाराम के काज सवारे, मेरा करो उधार || अपरम्पार है शक्ति तुम्हारी, तुम पर रीझे अवधबिहारी | भक्ति भाव से ध्याऊं तुम्हे, कर दुखों से पार || जपूं निरंतर नाम तिहरा, अब नहीं छोडूं तेरा …
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