यह दुर्गाभाभी है वही दुर्गा भाभी जिन्होंने साण्डर्स वध के बाद राजगुरू और भगतसिंह को लाहौर से अंग्रेजो की नाक के नीचे से निकालकर कोलकत्ता ले गई थी । महान क्रन्तिकारी भगवती चरण वर्मा की पत्नी थी। जब भगवती चरण जी का बम फटने से देहांत हो गया, तब दुर्गा भाभी ने अंग्रेजों को सबक सिखाने के लिए पंजाब प्रांत …
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भज मन राम चरण सुखदाई
भज मन राम चरण सुखदाई जिहि चरननसे निकसी सुरसरि संकर जटा समाई । जटासंकरी नाम परयो है, त्रिभुवन तारन आई ॥ जिन चरननकी चरनपादुका भरत रह्यो लव लाई । सोइ चरन केवट धोइ लीने तब हरि नाव चलाई ॥ सोइ चरन संत जन सेवत सदा रहत सुखदाई । सोइ चरन गौतमऋषि-नारी परसि परमपद पाई ॥ दंडकबन प्रभु पावन कीन्हो ऋषियन …
Read More »ओ मईया तैने का ठानी मन में
ओ मईया तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दइ री वन में -२ हाय री तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दइ री वन में -२ यधपि भरत तेरो ही जायो, तेरी करनी देख लज्जायो, अपनों पद तैने आप गँवायो भरत की नजरन में, राम-सिया भेज दइ री वन में , हठीली तैने का ठानी मन में, राम-सिया …
Read More »श्री राम चालीसा (Shri Ram Chalisa)
श्री राम चालीसा (Shri Ram Chalisa in Hindi) श्री रघुवीर भक्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥ निशिदिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥1॥ ध्यान धरे शिवजी मन माहीं। ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाहीं॥ दूत तुम्हार वीर हनुमाना। जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना॥2॥ तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला। रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥ तुम अनाथ के नाथ …
Read More »कैकेयी का अनुताप
“यह सच है तो अब लौट चलो तुम घर को |” चौंके सब सुनकर अटल कैकेयी स्वर को | सबने रानी की ओर अचानक देखा, बैधव्य-तुषारावृता यथा विधु-लेखा | बैठी थी अचल तथापि असंख्यतरंगा , वह सिंही अब थी हहा ! गौमुखी गंगा — “हाँ, जनकर भी मैंने न भारत को जाना , सब सुन लें,तुमने स्वयं अभी …
Read More »ओ मईया तैने का ठानी मन में
ओ मईया तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दइ री वन में -२ हाय री तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दइ री वन में -२ यधपि भरत तेरो ही जायो, तेरी करनी देख लज्जायो, अपनों पद तैने आप गँवायो भरत की नजरन में, राम-सिया भेज दइ री वन में , हठीली तैने का ठानी मन में, राम-सिया …
Read More »श्रीभरत जी के विशेषतर धर्म से शिक्षा
भगवत धर्म अर्थात् भगवत सेवा (श्रीराम भक्ति) ही श्रीभरत जी की भी इष्ट – चर्या थी । यथा – साधन सिद्धि राम पग नेहू । मोहि लखि परत भरत मत एहू ।। परंतु इतना अंतर था कि श्रीलखनलाल की सेवा संयोगवस्था संबंधी अर्थात् भजनरूप की थी । उनको स्वामी की सन्निधि में – हुजूरी में सेवा वियोगावस्थासंबंधी अर्थात् स्मरणरूप की …
Read More »सीता शुकी संवाद
एक दिन परम सुंदरी सीता जी सखियों के साथ उद्यान में खेल रही थीं । वहां उन्हें शुक पक्षी का एक जोड़ा दिखायी दिया जो बड़ा मनोरम था । वे दोनों पक्षी एक डाली पर बैठकर इस प्रकार बोल रहे थे – ‘पृथ्वी पर श्रीराम नाम से प्रसिद्ध एक बड़े सुंदर राजा होंगे । उनकी महारानी सीता के नाम से …
Read More »श्रीकैकेयी और सुमित्रा माता के चरित्र से शिक्षा
भरत माता श्री कैकेयी जी के चरित्रों से प्रकट और गुप्त – दो प्रकार की शिक्षाएं लौकिक तथा पारलौकिक रूपों में मिलती हैं । प्रथम प्रकटरूप में लोकशिक्षा को स्पष्ट किया गया है – जैसे कोई कैसा भी भला ऎघर क्यों न हो, घरवालों में परस्पर कैसी भी प्रीति क्यों न हो, घर की स्त्रियां कैसी भी सुयोग्य और सुबोध …
Read More »द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अर्चा विग्रह – 2) श्री मल्लिकार्जुन
दक्षिण भारत में तमिलनाडू में पाताल गंगा कृष्णा नदी के तट पर वृपवित्र श्रीशैल पर्वत है, जिसे दक्षिण का कैलास कहा जाता है । श्रीशैल पर्वत के शिखर दर्शन मात्र से भी सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और आवागमन के चक्र से मुक्ति मिल जाती है । इसी श्रीशैल पर भगवान मल्लिकार्जुन का ज्योतिर्मय लिंग स्थित है । मंदिर …
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