हाथो में फल फूल नहीं, आँखों में आंसू लाया हूँ जैसा हूँ तेरा हूँ साईं, श्री चरणों में आया हूँ तेरे दर पे आकर साईं खुद पर भरोसा आया है अनहोनी सी बात हुई है, जेसे सब कुछ पाया है, भटक भटक कर हार गया हूँ, कदम कदम ठुकराया हूँ, जैसा हूँ तेरा हूँ साईं श्री चरणों में आया हूँ …
Read More »Tag Archives: bhatak
वो फूल ना अब तक चुना पाया
जो फूल चढ़ाने हैं तुझपर मैं तेरा द्वार ना ढूंड सका भटक रहा हूँ डगर डगर …. क्या दुख क्या सुख सब भूल मेरी मैं उलझा हूँ इन बातों में दिन खोया चाँदी-सोने में सोया मैं बेसूध रातों में तब ध्यान किया मैने तेरा टकराया पग से जब पत्थर मैं तेरा द्वार ना ढूंड सका भटक रहा हूँ डगर डगर …
Read More »