भगवान रुद्र ने ओषधियों का निर्माण करके जगत का इतना कल्याण किया है कि वेद ने भी भगवान शंकर सम्पूर्ण शरीर को ही भेषज मान लिया है । कहा है कि – या ते रुद्र शिवा तनू शिवा विश्वस्य भेषजी । शिवा रुद्रस्य भेषजी तया नो मृड जीवसे ।। सचमुच आयुर्वेद भगवान शिव के रूप में ही अभिव्यक्त हुआ था, …
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भेदभाव का अंत
एक बार की बात है। एक गांव में एक संत रहते थे। लोग उनके पास अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आते थे। वह कठिन से कठिन समस्याओं को पल भर में सुलझा देते थे। एक बार उनका एक भक्त रोते हुए उनके पास पहुंचा और हाथ जोड़कर बोला, महाराज, मेरे परिवार में पर्याप्त सुख है, अपार धन-संपत्ति है, संतान …
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