बृज में होली कैसे खेलूंगी मैं,सांवरिया के संग।अबीर उड़ता गुलाल उड़ता,उड़ते सातों रंग,सखी री उड़ते सातों रंग,सखी री उड़ते सातों रंग,भर पिचकारी सन्मुख मारी,अंखियां हो गई तंग,बृज में होली कैसे खेलूंगी मैं,सांवरिया के संग……… कोरे कोरे कलश मंगाए,उसमें घोला रंग,सखी री उसमें घोला रंग,भर पिचकारी संमुख मारी,सखियां हो गई तंग,बृज में होली कैसे खेलूंगी मैं,सांवरिया के संग……… ढोलक बाजे सारंग …
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