तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है, तू चल, तेरे वजूद की समय को भी तलाश है समय को भी तलाश है.. जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ समझ न इन को वस्त्र तू… जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ समझ न इन को वस्त्र तू… ये बेड़ियां पिघाल के बना ले इनको शस्त्र तू बना ले इनको …
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संपत्ति बड़ी या संस्कार
दक्षिण भारत में एक महान् सन्त हुए तिरुवल्लुवर। वे अपने प्रवचनों से लोगों की समस्याओं का समाधान करते थे। इसलिए उन्हें सुनने के लिए दूर-दूर से लोग उनके पास आते थे। एक बार वे एक नगर में पहुँचे। उनके प्रवचन को सुनने के पश्चात एक सेठ ने हाथ जोड़कर निराशा का भाव लिए उनसे कहा, गुरुवर, मैंने पाई-पाई जोड़ कर …
Read More »तीन अजब बातों का गजब चमत्कार
न्यायप्रिय राजा हरि सिंह बेहद बुद्धिमान था। वह प्रजा के हर सुख-दुख की चिंता अपने परिवार की तरह करता था। लेकिन कुछ दिनों से उसे स्वयं के कार्य से असंतुष्टि हो रही थी। उसने बहुत प्रयत्न किया कि वह अभिमान से दूर रहे पर वह इस समस्या का हल निकालने में असमर्थ था। एक दिन राजा जब राजगुरु प्रखरबुद्धि के …
Read More »कर्म का चरित्र पर प्रभाव
कर्म शब्द ‘कृ’ धातु से निकला है, ‘कृ’ धातु का अर्थ है करना । जो कुछ किया जाता है, वहीं कर्म है । इस शब्द पारिभाषिक अर्थ ‘कर्मफल’ भी होता है । दार्शनिक दृष्टि से यदि देखा जाएं, तो इसका अर्थ कभी कभी वे फल होते हैं, जिनका कारण हमारे पूर्व कर्म रहते हैं । परंतु कर्मयोग में ‘कर्म’ शब्द …
Read More »चरित्र की बड़ी से बड़ी पोल खोल सकती हैं आपकी आंखें
चरित्र की बड़ी से बड़ी पोल खोल सकती हैं आपकी आंखें
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