किसी गांव के किनारे एक मंदिर था, मंदिर में एक साधु रहता था। गांव में एक चोर भी रहता था। चोर खाते पीते घर का बेटा था। चोर हो गया तो जिंदगी भी चोर की ही घसीटनी पड़ रही थी। किसी ने उसकी शादी नहीं की। चोर अपने ही गांव में हाथ मारता था, लोग उसे कबाड़ी चोर कहते थे। …
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दिल कड़या ते पता भी ना लगाया
श्याम दियाँ चोर अँखियाँ चोर अँखियाँ वे चोर अँखियाँ चोर अँखियाँ वे चोर अँखियाँ दिल कड़या ते पता भी ना लगाया श्याम दियाँ चोर अँखियाँ चोरी चोरी घर मेरे आके श्यामा माखन ले गया मेरा चुरा के प्यारा माखन ले गया मेरा चुरा के जड़ो कड़या ते पता वी ना लगाया श्याम दियाँ चोर अँखियाँ दिल कड़या ते पता भी …
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