जीवन जीने के दो ढंग हैं! एक ढंग है संघर्ष का, एक ढंग है समर्पण का! संघर्ष का अर्थ है, मेरी मर्जी समग्र की मर्जी से अलग! समर्पण का अर्थ है, मैं समग्र का एक अंग हूं! मेरी मर्जी के अलग होने का कोई सवाल नहीं! मैं अगर अलग हूं, संघर्ष स्वभाविक है! मैं अगर विराट के साथ एक हूं, …
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