प्राचीन काल में सर्वसमृद्धिपूर्ण वर्धमान नगर में रूपसेन नाम का एक धर्मात्मा राजा था । एक दिन उसके दरबार में वीरवर नाम का एक गुणी व्यक्ति अपनी पत्नी, कन्या एवं पुत्र के साथ वृत्ति के लिए उपस्थित हुआ । राजा ने उसकी विनयपूर्ण बातों को सुनकर प्रतिदिन एक सहस्त्र स्वर्णमुद्रा का वेतन नियत कर सिंहद्वार के रक्षक के रूप में …
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स्वर्ग से सुंदर सपनो से प्यारा है तेरा दरबार
स्वर्ग से सुंदर सपनो से प्यारा है तेरा दरबार, स्वर्ग से सुंदर सपनो से प्यारा है तेरा दरबार, जहा तेरा प्यार मिला है, मुझे हर बार मिला है, जहा तेरा प्यार मिला है, मुझे हर बार मिला है, रोशन है मेरी दुनिया, तेरे ही प्यार से, सब कुच्छ मिला …
Read More »दरबार लाखो देखे, दातार लाखो देखे
दरबार लाखो देखे, दातार लाखो देखे,दरबार खाटू वाले जैसा और नही,दातार बाबा जैसा कोई और नही,दरबार लाखो देखे, दातार लाखो देखे,दरबार खाटू वाले जैसा और नही,दातार बाबा जैसा कोई और नही,दरबार वाले जैसा और नही,दातार बाबा जैसा कोई और नही,भजन करो खाटू वाले का, आँख मिचकर बंदे,श्याम नाम का पुण्या कमला, छ्होर दे काले धंढेंएक दिन है तुमको जाना, बाबा …
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