वहाँ वहाँ मेरे दिल भिच जाए ऐसा रंग चढ़े गुरुदेव दिया कोई रंग चाड ना पाए तेरे सिबा कोई नाम नहीं तेरे सिबा कोई ध्यार नहीं तेरे सिबा कोई चाहत नहीं तेरे सिबा कोई लक्ष्या नहीं चाहे राम कहो घनश्याम कहो गुरु नाम से कोई प्यारे नहीं चाहे कृष्णा कहो सियाराम कहो सियाराम कहो महादेव कहो गुरु नाम से कोई …
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छोटी सी मेरीनाइया को ईश्वरपार लगा दो तुम
बिगड़ी हुवी तक़दीर को, एक भर बनाओ तुम तुम को दयालु कहते है, हम फार भी ..दया कारू भक्ती का धन दो हमे, भाव से फार कराधो तुम साथी नही कोई मेरा, दर्द जिशे सुमनाऊ में दर्द तुम्हे सुना रहे, दर्द मेरा मिताधो तुम कैसे लगेगी पार ये, नैया मेरे तेरे बगार भरम भार विनय करू, भाव से फार कराधो …
Read More »आम का पेड़
कुंतालपुर का राजा बड़ा ही न्याय प्रिय था| वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में बराबर काम आता था| प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी| एक दिन राजा गुप्त वेष में अपने राज्य में घूमने निकला तब रास्ते में देखता है कि एक वृद्ध एक छोटा सा पौधा रोप रहा है| राजा कौतूहलवश उसके पास गया और बोला, ‘‘यह आप किस चीज का …
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