बिगड़ी हुवी तक़दीर को, एक भर बनाओ तुम तुम को दयालु कहते है, हम फार भी ..दया कारू भक्ती का धन दो हमे, भाव से फार कराधो तुम साथी नही कोई मेरा, दर्द जिशे सुमनाऊ में दर्द तुम्हे सुना रहे, दर्द मेरा मिताधो तुम कैसे लगेगी पार ये, नैया मेरे तेरे बगार भरम भार विनय करू, भाव से फार कराधो …
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