सुदामा नाम के एक ब्राह्मण श्रीकृष्ण के परम मित्र थे। उन्होंने श्री कृष्ण के साथ गुरुकुल में शिक्षा पायी थी। वे ग्रहस्थ होने पर भी संग्रह- परिग्रह से दूर रहते हुए प्रारब्ध के अनुसार जो कुछ भी मिल जाता उसी में संतुष्ट रहते थे। भगवान की उपसना और भिक्षाटन यही उनकी दिनचर्या थी। उनकी पत्नी परम पतिव्रता और अपने पति के साथ हर अवस्था में सतुष्ट रहने वाली थी। एक दिन दु:खिनी पतिव्रता भूख से कांपते हुए अपने पति के पास गयी और बोली
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सच्ची दोस्ती
वह शाम को ऑफिस से घर लौटा, तो पत्नी ने कहा कि आज तुम्हारे बचपन के दोस्त आए थे, उन्हें दस हजार रुपए की तुरंत आवश्यकता थी, मैंने तुम्हारी आलमारी से रुपए निकालकर उन्हें दे दिए। कहीं लिखना हो, तो लिख लेना। इस बात को मुझे दु:ख इस बात का नहीं है कि तुमने मेरे दोस्त को रुपए दे दिए। …
Read More »मूर्ख कछुआ(Moorkh kachhuaa)
बहुत समय पहले की बात है, गाँव के किनारे किसी तालाब में एक कछुआ रहता था। उसी तालाब के किनारे दो बगुलों का जोड़ा भी रहता था। वो अक्सर तालाब में पानी पीने के लिए आते थे और कछुवे के साथ कुछ बाते भी कर लेते थे। कुछ ही दिनों बाद तीनों में अच्छी दोस्ती हो गई। अब तीनों मिलकर …
Read More »अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो,
अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो, के द्वार पे सुदामा ग़रीब आगेया है. के द्वार पे सुदामा ग़रीब आगेया है. भटकते भटकते ना जाने कहा से, भटकते भटकते ना जाने कहा से, तुम्हारे महल के करीब आगेया है. तुम्हारे महल के करीब आगेया है. ऊओ…अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो, के द्वार पे सुदामा ग़रीब आगेया है. के द्वार पे …
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