वैष्णव देवी माँ शेरावाली दुखिओं की करती है रखवाली भोग न मांगू, मोक्ष ना मांगू, धन दौलत कुछ भी ना जानू तुम कहलाती हो हिमालय सुपुत्री, ममता प्यार मांगू मतवाली नव रूपों में, नव कल्पना में, नव रसों में, नव ग्रहों में सृष्टि की रचना तेरी दृष्टि से, लालन पालन करती मेहरा वाली काल नाशिनी, दुःख हारिणि, शूल धारिणी, सिंह …
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मूर्ति पूजन का तात्पर्य
स्वामी विवेकानंद की ख्याति दिन प्रतिदिन फैलती रही । उनका गुणगान सुनकर अलवर राज्य के दीवान महोदय ने उन्हें अपने घर बुलाया । स्वामी जी का सत्संग करके दीवान जी ने अपना महोभाग्य माना । दूसरे दिन दीवान जी ने महाराज से इनके बारे में एक पत्र लिखकर चर्चा की । महाराज उस समय अलवर से दो मील दूरी पर …
Read More »प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर
प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा . अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं टलते देखा .. जिसकी केवल कृपा दृष्टि से सकल विश्व को पलते देखा . उसको गोकुल में माखन पर सौ सौ बार मचलते देखा .. जिसके चरणकमल कमला के करतल से न निकलते देखा . उसको ब्रज की कुंज गलिन में …
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