अपनो जानम सफल कर्ध्ी जे श्री यशोदा को, परम दुलारो, बाबा की अकियाँ को तरो गोपीन के प्राणं से प्यारो, एन पर प्राण नोचावार कीजे बलि धाऊ को छोटू भैया, कांवा कहे बुलवती मैया परम मूढ़ीता माना लेत बलैया ई छवि नैनन मे, भर लीजे श्री राधवार सुभर कन्हैया, ब्रिज जान को नवनीत कवैया डेकाट ही मान, कैसे चुरैया अपनो …
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