एक दिन सेवाग्राम में कुछ पहलवान आ पहुंचे और गांधीजी से अपने दो-चार खेल देख लेने का आग्रह करने लगे। गांधीजी ने कहा, ‘एक तो मेरे पास समय नहीं है, दूसरे जो चीज देश के काम नहीं आती, उसे देखने में मेरा मन नहीं लगता। फिर तुम्हें इनाम चाहिए होगा, वह मैं कहां से दूंगा? मेरे पास तुम्हें देने के …
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जानिए महात्मा गांधी की नजर में धर्म का अर्थ
एक बार महामना मदनमोहन मालवीय, महात्मा गांधी व कुछ अन्य लोग धर्म पर चर्चा कर रहे थे। चर्चा के दौरान मालवीय जी ने गांधीजी से पूछा, ‘बापू आपकी दृष्टि में धर्म क्या है?’ तब गांधीजी बोले, मेरी दृष्टि से धर्म का अर्थ कर्तव्य है। समाज के हर व्यक्ति का अलग धर्म है। सैनिक का धर्म अपने राष्ट्र व समाज की …
Read More »बापू की असाधारण और अक्षम्य गलती
एक दिन मोहनदास करमचंद गांधी (बापू) शाम की प्रार्थना सभा में बोलते-बोलते बहुत परेशान हो गए। उन्होंने कहा, जो गलती मुझसे हुई है, वह असाधारण और अक्षम्य है। कई बरस पहले मुझे इसका पता लगा, पर तभी मैंने इस ओर ध्यान नहीं दिया। इस कारण से कई वर्ष नष्ट हो गए। मुझसे बहुत बड़ा पाप हो गया है। दरिद्रनारायण की …
Read More »बापू ने बताया दान और व्यापार का महत्व
एक दिन एक व्यक्ति महात्मा गांधी के पास आकर अपना दुःख सुनाने लगा। उसने गांधी जी से कहा कि बापू, यह दुनिया बड़ी बेईमान है। आप तो यह अच्छी तरह से जानते हैं कि मैनें पचास हजार रुपए दान देकर धर्मशाला बनवाई थी। पर अब उन लोगों ने मुझे ही उसकी प्रबंध समिति से हटा दिया है। धर्मशाला नहीं थी …
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