मैया मोरी, मैं नही माखन खायो भोर भयो गैइयाँ के पाचे, मधुवन मोहि पतायो . चार प्रहार वंशिवात भटाकयो, सांज परे घर आयो .. .. मैया मोरी ………. 1 .. मैं बालक बहियाँ को चोटो, चिंको कीड़ी विधि पयो . ग्वाल बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपतायो .. .. मैया मोरी ………. 2 .. तू जननी मान किी …
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आओ, कृष्ण कन्हैया, हमारे घर आओ
आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ माखन मिसरी दूध मलाई जो चाहो सो खाओ आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ माखन मिसरी दूध मलाई रुचि रुचि भोग लगाओ आप भी आओ सब गोपियन को लाओ मेरे आँगन में तुम रास रचाओ आँगन में मेरे तुम रास रचाओ आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ माखन मिसरी दूध मलाई जो चाहो सो …
Read More »क्या बनेंगे ये ?
यूनिवर्सिटी के एक प्रोफ़ेसर ने अपने विद्यार्थियों को एक एसाइनमेंट दिया। विषय था मुंबई की धारावी झोपड़पट्टी में रहते 10 से 13 साल की उम्र के लड़कों के बारे में अध्यन करना और उनके घर की तथा सामाजिक परिस्थितियों की समीक्षा करके भविष्य में वे क्या बनेंगे, इसका अनुमान निकालना। कॉलेज विद्यार्थी काम में लग गए। झोपड़पट्टी के 200 बच्चो के घर की पृष्ठभूमिका, …
Read More »आखिरी काम ( story of an old carpenter)
एक बूढ़ा कारपेंटर अपने काम के लिए काफी जाना जाता था , उसके बनाये लकड़ी के घर दूर -दूर तक प्रसिद्द थे . पर अब बूढा हो जाने के कारण उसने सोचा कि बाकी की ज़िन्दगी आराम से गुजारी जाए और वह अगले दिन सुबह-सुबह अपने मालिक के पास पहुंचा और बोला , ” ठेकेदार साहब , मैंने बरसों आपकी सेवा …
Read More »गार्बेज ट्रक (how to deal with frustrated people)
एक दिन एक आदमी टैक्सी से एअरपोर्ट जा रहा था . टैक्सी वाला कुछ गुनगुनाते हुए बड़े इत्मीनान से गाड़ी चला रहा था कि अचानक एक दूसरी कार पार्किंग से निकल कर रोड पर आ गयी , टैक्सी वाले ने तेजी से ब्रेक लगायी , गाड़ी स्किड करने लगी और बस एक -आध इंच से सामने वाली कार से लड़ते …
Read More »सोच बदलो , देश बदलेगा (Change thinking, change country)
एक माँ 6 साल के बच्चे को पीटते हुए बोली, “नालायक, तूने नीची जात के घर की रोटी खायी, तू नीची जात का हो गया तूनेअपना धर्म भ्रष्ट कर लिया। अब क्या होगा? ……. बच्चे का मासूम सवाल : माँ, मैने तो एक बार ही उनके घर की रोटी खाई, तो मैं नीची जात का हो गया । लेकिन वो लोग …
Read More »अपने प्यार को पहचानिए। उसके साथ समय बिताइए (Identify your love. Spend time with them)
कल मैं दुकान से जल्दी घर चला आया। आम तौर पर रात में 10 बजे के बाद आता हूं, कल 8 बजे ही चला आया। सोचा था घर जाकर थोड़ी देर पत्नी से बातें करूंगा, फिर कहूंगा कि कहीं बाहर खाना खाने चलते हैं। बहुत साल पहले, , हम ऐसा करते थे। घर आया तो पत्नी टीवी देख रही थी। …
Read More »यह जिन्दगी का कटु सत्य है। (This is the harsh reality of life.)
पुराने ज़माने की बात है। किसी गाँव में एक सेठ रहेता था। उसका नाम था नाथालाल सेठ। वो जब भी गाँव के बाज़ार से निकलता था तब लोग उसे नमस्ते या सलाम करते थे , वो उसके जवाब में मुस्कुरा कर अपना सिर हिला देता था और बहुत धीरे से बोलता था की घर जाकर बोल दूंगा एक बार किसी …
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