समदर्शिता भगवान श्रीकृष्ण समदर्शी थे, और उनकी समदर्शिता की सीमा में केवल मनुष्य – समाज ही आता हो, सो बात नहीं, पशु – पक्षी, लता – वृक्ष आदि सभी के लिए उसमें स्थान था । उन्होंने गौओं की सेवा कर पशुओं में भी भगवान का वास दिखलाया । कदंब आदि वृक्षों के तले वन में विहार कर, उभ्दिज्ज – जगत …
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राधा – भाव
राधा भाव में उपासक और उपास्य में प्रेमाधिक्य के कारण एकरूपता हो जाती है । यही कारण था कि भगवान श्रीकृष्ण राधा जी हो जाते थे और श्रीराधा श्रीकृष्ण बन जाती थीं ।इस प्रकार का परिवर्तन परम स्वाभाविक है । उदाहरणस्वरूप गर्गसंहिता का यह श्लोक है – श्रीकृष्ण कृष्णेति गिरा वदन्त्य: श्रीकृष्णपादाम्बूजलग्नमानसा: । श्रीकृष्णरूपास्तु बभूवुरंगना – श्र्चित्रं न पेशस्कृतमेत्य कीटवत् …
Read More »कृष्णा के रंग मे रंगी है राधा
मग्न हुवे सब गोप-गोपियन उन संग खेल खिलाई वो मुरलीधरा गोपाला यशोदा नंदलाला (2) नाचान लागी बृंदावँ बाला (2) मुरलीधरा गोपाला यशोदा नंदलाला (2) खेलन लागी बृंदावँ बाला (2) [रिपीट परा] मुरलीधरा गोपाला यशोदा नंदलाला (2) मुरलीधरा… [To English wish4me] Magn Huve Sab Gop-Gopiyan Un Sang Khel Khilayee woh Muralidhara Gopala Yashoda Nandalala (2) Nachan laagi Brindavan Bala (2) Muralidhara …
Read More »आओ, कृष्ण कन्हैया, हमारे घर आओ
आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ माखन मिसरी दूध मलाई जो चाहो सो खाओ आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ माखन मिसरी दूध मलाई रुचि रुचि भोग लगाओ आप भी आओ सब गोपियन को लाओ मेरे आँगन में तुम रास रचाओ आँगन में मेरे तुम रास रचाओ आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ माखन मिसरी दूध मलाई जो चाहो सो …
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