एक बार एक आदमी रेगिस्तान में कहीं भटक गया। उसके पास खाने-पीने की जो थोड़ी-बहुत चीजें थीं वो जल्द ही ख़त्म हो गयीं और पिछले दो दिनों से वो पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहा था। वह मन ही मन जान चुका था कि अगले कुछ घंटों में अगर उसे कहीं से पानी नहीं मिला तो उसकी मौत …
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दिन रात जपां मैं तेरा नाम ज्वाला माँ
एहो आस एहो अरदास मेरी, ऐनी मिन्नत माए मंजूर करीं जदो होंण हनेरिया रातां माँ ज्योतां दा ज्वाला नूर करीं दिन रात जपां मैं तेरा नाम, ज्वाला माँ मेरे घर विच्च रखीं सुख दा सदा उजाला माँ न पवे दुखां दे नाल कदे मेरा पाला माँ भावें मेरे सर ते शाहां वाला ताज ना रखीं होर किसे दे दर दा …
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