द्वापर युग की बात है मंदनपाल नाम का एक पक्षी था । उसके चार पुत्र थे, जो बड़े बुद्धिमान थे । उनमें द्रोण सबसे छोटा था । वह बड़ा धर्मात्मा और वेद – वेदांग में पारंगत था । उसने कंधर की अनुमति से उसकी पुत्री तार्क्षी से विवाह किया । कुछ समय बाद तार्क्षी गर्भवती हुई और साढ़े तीन मास …
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रक्षक प्रभु
इन्द्र से वरदान में प्राप्त एक अमोघ शक्ति कर्ण के पास थी । इन्द्र का कहा हुआ था कि इस शक्ति को तू प्राणसंकट में पड़कर एक बार जिस पर भी छोड़ेगा, उसी की मृत्यु हो जाएंगी, परंतु एक बार से अधिक इसका प्रयोग नहीं हो सकेगा । कर्ण ने वह शक्ति अर्जुन को मारने के लिए रख छोड़ी …
Read More »आखिर क्यों पड़ी थी समुद्र मंथन की जरूरत..
एक बार शिवजी के दर्शन के लिए दुर्वासा ऋषि अपने शिष्यों के साथ कैलाश जा रहे थे। मार्ग में उन्हें देवराज इन्द्र मिले। इन्द्र ने दुर्वासा ऋषि और उनके शिष्यों को भक्तिपूर्वक प्रणाम किया। तब दुर्वासा ऋषि ने इन्द्र को आशीर्वाद देकर विष्णु भगवान का पारिजात पुष्प प्रदान किया। इन्द्रासन के गर्व में चूर देवराज इन्द्र ने उस पुष्प को …
Read More »वामनअवतार
एक समय की बात है। युद्ध में इन्द्र से इन्द्र से हारकर दैत्यराज बलि गुरु शुक्राचार्य की शरण में गये। शुक्राचार्य ने उनके अन्दर देवभाव जगाया। कुछ समय बाद गुरू कृपा से बलि ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। प्रभु की महिमा कितनी विचित्र है कि कलका देवराज इन्द्र आज भिखारी हो गया। वह दर-दर भटकने लगा। अन्त में अपनी …
Read More »गोवर्धन पूजा Govardhan Puja
कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है। हिन्दू मान्यतानुसार महाभारत काल में इसी दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। तभी से यह परंपरा कायम है। गोवर्धन पूजा से जुड़ी कथा निम्न है: गोवर्धन पूजा कथा (Govardhan Puja Katha) एक बार की बात है इंद्र को अपनी शक्तियों पर घमंड हो गया। तब …
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